गौर से पढें हमारी संस्कृति का रहस्य* *ॐ*सूतक और क्वॉरेंटीन*ॐ*

 


*हम तो आदिकाल से क्वारेंटाईन करते हैं, दुनिया को अब समझ आया...*


```आज जब सिर पर घूमता एक वायरस हमारी मौत बनकर बैठ गया तब हम समझें कि हमें क्वारेंटाईन होना चाहिये, मतलब हमें "सूतक" से बचना चाहिये।
यह वही "सूतक" है जिसका भारतीय संस्कृति में आदिकाल से पालन किया जा रहा है।
जबकि विदेशी संस्कृति के नादान लोग हमारे इसी "सूतक" को समझ नहीं पा रहे थे।
वो समझ ही नहीं रहे थे कि मृतक के शव में भी दूषित जीवाणु होते हैं!!
हाथ मिलाने से भी जीवाणुओं का आदान-प्रदान होता है!
और जब हम समझाते थे तो वो हमें जाहिल बताने पर उतारु हो जाते।
हम शवों को जलाकर नहाते रहे और वो नहाने से बचते रहे और हमें कहते रहे कि हम गलत हैं और आज आपको कोरोना का भय यह सब समझा रहा है।```


🌹 *हमारे यहॉ बच्चे का जन्म होता है तो जन्म ‘‘सूतक’’ लागू करके मॉ-बेटे को अलग कमरे में रखते हैं, महिने भर तक, मतलब क्वारेंटाईन करते हैं।*


🌹```हमारे यहॉ कोई मृत्यु होने पर परिवार सूतक में रहता है लगभग 12 दिन तक सबसे अलग, मंदिर में पूजा-पाठ भी नहीं। सूतक के घरों का पानी भी नहीं पिया जाता।```


🌹 *हमारे यहॉ शव को  भी  नहलाकर दाह- संस्कार   करने की परम्परा है, जो लोग अंतिमयात्रा में जाते हैं उन्हे सबको सूतक लगती है, वह अपने घर जाने के पहले नहाते हैं, फिर घर में प्रवेश मिलता है।*


🌹 ```हम मल विसर्जन करते हैं तो नहाते हैं तब शुद्ध मानते हैं।```


🌹 *हम जिस व्यक्ति की मृत्यु होती है उसके उपयोग किये सारे रजाई-गद्दे चादर तक ‘‘सूतक’’ मानकर बाहर फेंक देते हैं।*


 🌹```हमने सदैव होम हवन किया, समझाया कि इससे वातावरण शुद्ध होता है, आज विश्व समझ रहा है, हमने वातावरण शुद्ध करने के लिये घी और अन्य हवन सामग्री का उपयोग किया।```


💥💥 *हमने आरती को कपूर से जोड़ा, हर दिन कपूर जलाने का महत्व समझाया ताकि घर के जीवाणु मर सकें।*


🌹 ```हमने वातावरण को शुद्ध करने के लिये मंदिरों में शंखनाद किये।```


🔔🔔 *हमने मंदिरों में बड़ी-बड़ी घंटियॉ लगाई जिनकी ध्वनि आवर्तन से अनंत सूक्ष्म जीव स्वयं नष्ट हो जाते हैं।*


🎎 ```हमने भोजन की शुद्धता को महत्व दिया और मांस अलग किया।```


👏👏 *हमने भोजन करने के पहले अच्छी तरह हाथ धोये महत्व समजाया।*


🦶🦶 ```हमने घर में पैर धोकर अंदर जाने को महत्व दिया।```


🤽‍♂🤽‍♂ *हम थे जो सुबह से पानी से नहाते हैं, कभी-कभी हल्दी या नीम डालते थे।*
 
🏊‍♀🏊‍♀ ```हमने मेले लगा दिये कुंभ और सिंहस्थ के सिर्फ शुद्ध जल से स्नान करने के लिये।```


🚣‍♂🚣‍♂ *हमने अमावस्या पर नदियों में स्नान किया, शुद्धता के लिये ताकि कोई भी सूतक हो तो दूर हो जाये।*


🤽‍♂🤽‍♂```हमने बीमार व्यक्तियों को नीम से नहलाया ।```


🛌🛌 *हमने भोजन में हल्दी को अनिवार्य कर दिया।*


👨‍🏫👨‍🏫 ```हम चन्द्र और सूर्यग्रहण की सूतक मान रहे हैं, ग्रहण में भोजन नहीं कर रहे और वो इसे अब मेडिकली प्रमाणित कर रहे हैं।```


✋✋ *हम थे जो किसी को भी छूने से बचते थे, हाथ नहीं लगाते थे।*


👋👏 ```हम थे जिन्होने दूर से हाथ जोडक़र अभिवादन को महत्व दिया और वो हाथ मिलाते रहे।```


🔥🔥 *हम तो उत्सव भी मनाते हैं तो मंदिरों में जाकर, सुन्दरकाण्ड का पाठ करके, धूप-दीप हवन करके वातावरण को शुद्ध करते।*


♨♨ ```हमने होली जलाई कपूर, पान का पत्ता, लोंग, गोबर के उपले और हविष्य सामग्री सब कुछ सिर्फ वातावरण को शुद्ध करने के लिये।```


♨🔥 *हम नववर्ष व नवरात्री मनायेंगे, 9 दिन घरों-घर आहूतियॉ छोड़ी जायेंगी, वातावरण की शुद्धी के लिये।*


🏤🏤 ```हम देवी पूजन के नाम पर घर में साफ-सफाई करेंगे और घर को जीवाणुओं से क्वरेंटाईन करेंगे।```


🔶🔶 *हमनें गोबर को महत्व दिया, हर जगह लीपा और हजारों जीवाणुओं को नष्ट करते रहे।*


🏡🏡 ```हम हैं जो दीपावली पर घर के कोने-कोने को साफ करते हैं, चूना पोतकर जीवाणुओं को नष्ट करते हैं, पूरे सलीके से विषाणु मुक्त घर बनाते हैं।```


👖👕👔 *अरे हम तो हर दिन कपड़े भी धोकर पहनते हैं।*


🧤🧤 ```हम अतिसूक्ष्म विज्ञान को समझते हैं आत्मसात करते हैं और वो सिर्फ कोरोना के भय में समझने को तैयार हुए।```


🚶‍♂🚶‍♂🚶‍♂🚶‍♂ *हम उन जीवाणुओं को भी महत्व देते हैं जो हमारे शरीर पर सूक्ष्म प्रभाव डालते हैं। आज हमें गर्व होना चाहिऐ हम ऐसी देव संस्कृति में जन्में हैं जहॉ ‘‘सूतक’’ याने क्वारेंटाईन का महत्व है। यह हमारी जीवन शैली हैं।*


🧘‍♂🧘‍♂ ```हम जाहिल, दकियानूसी, गंवार नहीं।```


🙏🙏 *हम सुसंस्कृत, समझदार, अतिविकसित महान संस्कृति को मानने वाले आज हमें गर्व होना चाहिऐ कि पूरा विश्व हमारी संस्कृति को सम्मान से देख रहा है, वो अभिवादन के लिये हाथ जोड़ रहा है, वो शव जला रहा है, वो हमारा अनुसरण कर रहा है।*


*📖📙🖊🖋```हमें भी भारतीय संस्कृति के महत्व को, उनकी बारीकियों को और अच्छे से समझने की आवश्यकता है क्योंकि यही जीवन शैली सर्वोत्तम, सर्वश्रेष्ठ और सबसे उन्नत हैं।।*
*वेद पुराण स्मृति धर्मशास्त्र साधुओं ने सदा से ही हमको जगाने का कार्य किया है।हम शास्त्रों की संस्कृति को जीवन मे उतारकर स्वस्थ भारत की योजना को पूर्ण करें....हमें गर्व है हमारी संस्कृति पर।*